Dilip Mandal - जो इस पागलपन में शामिल नहीं है, वह मारा जाएगा

जो इस पागलपन में शामिल नहीं है, वह मारा जाएगा

Woman
इस तस्वीर को ग़ौर से देखिए। बताया गया है कि यह छत्तरपुर की उस महिला की तस्वीर है, जिसे निर्वस्त्र कर पेशाब पिलाने की खबर छपी थी। घटना के बाद अफसर लोग पूछताछ कर रहे हैं। होने को तो यह देश में कहीं की भी तस्वीर हो सकती है।
इस तस्वीर में पुरुष अधिकारियों की जगह खुद को रखकर सोचिए। क्या आपको ऐसा महसूस हो रहा है कि आप बीमार हैं? गंभीर रूप के बीमार? नहीं न? इन अफसरों को तो लगा भी नहीं होगा कि वे इस महिला को कुर्सी न देकर कोई गलती कर रहे हैं।
इस तस्वीर को देखकर कुछ लोग कह रहे हैं- शर्मनाक। कुछ ने पुलिस को गालियाँ दीं, तो कुछ ने अफसरों को। कुछ कह रहे हैं कि यह हमारी संस्कृति नहीं है। सब "उनको" कोस रहे हैं। सब दूसरी ओर देखना चाहते हैं।
सॉरी बॉस।
यह तस्वीर 'उनके' बारे में नहीं है। यह 'हम सबके' बारे में है। यह तथाकथित मॉडर्न भारत के बारे में है, जिसमें ऐसी घटनाओं को लेकर सहज स्वीकार्यता है। यह हमारी राष्ट्रीय संस्कृति का हिस्सा है। यही हमारी संस्कृति है। यही राष्ट्रीय संस्कार है।
एक महिला, जिसे निर्वस्त्र कर पेशाब पिलाया जाता है, उसके साथ हमारे देश का यही सामान्य व्यवहार है। हर दिन हमारे आस पास हो रही ऐसी घटनाओं पर नाराज होना या चौंकना हमने बंद कर दिया है। हम पहले भी ख़फ़ा नहीं थे, हम अब भी खफा नहीं हैं।
भारत मूल रूप से एक बीमार देश है। मनोरोगीयों का देश।
मनोरोगी होना इस देश में नॉर्मल होना है। इस देश में ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि वे कितने गंभीर रूप से बीमार हैं।
भारत में अगर आप मनोरोगी नहीं हैं तो यह देश आपको नॉर्मल मानने से इनकार कर देगा।
अगर आप मनोरोगी नहीं हैं तो यह देश आपको पागलखाने में भर्ती कर देगा।
हमने ऐसा ही देश बनाया है।
जो इस पागलपन में शामिल नहीं है, वह मारा जाएगा, या पागल क़रार दिया जाएगा। अभी हाल में हमारे तीन बुजुर्ग मारे गए हैं, क्योंकि वे इस पागलपन में शामिल नहीं थे।
pansare_dabholkar_kalburgi_fanatics
NB - Professor Kalburgi was not a rationalist, but a devout Lingayat
see also

Popular posts from this blog

Third degree torture used on Maruti workers: Rights body

Haruki Murakami: On seeing the 100% perfect girl one beautiful April morning

The Almond Trees by Albert Camus (1940)

Satyagraha - An answer to modern nihilism

Rudyard Kipling: critical essay by George Orwell (1942)

Three Versions of Judas: Jorge Luis Borges

Goodbye Sadiq al-Azm, lone Syrian Marxist against the Assad regime