मुकेश कुमार - हम क्यों चलें जाएं पाकिस्तान?

हम क्यों चलें जाएं पाकिस्तान?
मुकेश कुमार

ये मुल्क तुम्हारी मिल्कियत है
या तुमने हमसे ज़्यादा बहाया है ख़ून-पसीना
तुम्हारी साँसों में हमसे ज्यादा घुली है यहाँ की हवा
तुम्हारी मिट्टी में है यहाँ की ज़्यादा खुश्बू
या नसों में दौड़ रहा है कुछ ज़्यादा यहाँ का पानी
अगर नहीं तो फिर हम क्यों जाएं पाकिस्तान?

जिन्हें जाना था, चले गए पाकिस्तान
उन्हें डर था तुम्हारे पाकिस्तान से
इसलिए उन्होंने बना लिया अपना पाकिस्तान
लेकिन हुआ क्या?
ख़तरे में है उसका वज़ूद
अपने ही पाकिस्तान से ख़ौफ़ज़दा हैं वे
दरअसलसबको पता है 
कि हर पाकिस्तान का अंजाम एक ही है
इसलिए हमारे पाकिस्तान जाने का सवाल ही नहीं उठता।

वैसे जो नहीं गए पाकिस्तान
उन्हें भी तो तुमने मान लिया पाकिस्तानी
खड़ा कर दिया उन्हें शक़ के घेरे में
पूछी पहचानकहा-साबित करो वफादारी
गाओ वंदे मातरम्बोलो जय श्रीराम
मंजूर नहीं है हमें ये सूरत-ए-हाल
इसलिए हम नहीं जाएंगे पाकिस्तान

अच्छा बताओ तो कहाँ है पाकिस्तान?
कैसा है उसका वो मानचित्र
जो खुदा है तुम्हारे दिलों में?
खींच रखी हैं जो सरहदें तुमने उसकी
उन्हें लाँघना चाहता हूं मैं
लेकिन नहीं जाना चाहता पाकिस्तान

तुम क्यों चाहते हो
हम चले जाएं पाकिस्तान?
 इसलिए कि बिगाड़ दो चेहरा इस मुल्क का
नष्ट कर दो इसकी साँझी विरासत
बना डालो इसे भी पाकिस्तान
जो नहीं होने देना चाहता ये सब
वह भला क्यों जाएगा पाकिस्तान

तुम्हें पता है
पाकिस्तान को कोसते समय
तुम भी दिखने लगते हो उन्हीं की तरह
उन्हीं की तरह सोचते
उन्हीं जैसा करते हुए बरताव
उनके जिहाद से कहाँ अलग है
तुम्हारा धर्मयुद्ध?
सच ये है कि तुमने तैयारी कर ली है
एक और पाकिस्तान बनाने की
इसलिए लाज़िमी है कि हम न जाएं पाकिस्तान

हम जानते हैं कि तुम्हारे अंदर
जड़ें जमाए बैठा है एक पाकिस्तान
पाकिस्तान से भी बड़ा पाकिस्तान
तुम्हारे लिए एक ही सिक्के के दो पहलू हैं
हिंदुस्तान और पाकिस्तान
तुम्हारी हसरत है पाकिस्तान को मिटाना
मगर इस कोशिश में बढ़ाते जाते हो उसका क्षेत्रफल
ऐसे में भला कोई चाहेगा भी तो क्यों जाएगा पाकिस्तान?

वैसे मैं कभी जा भी सकता हूँ पाकिस्तान
और क्यों न जाऊं पाकिस्तान?
सिर्फ़ तुम्हारी तरह के नहीं
हमारे जैसे लोग भी हैं बसते हैं पाकिस्तान में
जो दुखी हैं तुम्हारी तरह के लोगों से
वहाँ उनसे भी कहा जाता होगा
कि चले जाओ हिंदुस्तान
और वे भी कहते होंगे पलटकर
हम क्यों जाएं हिंदुस्तान?

डॉ. मुकेश कुमार [पत्रकारटीवी एंकरलेखक]
Pl. visit- mukeshkumar.info

Popular posts from this blog

Third degree torture used on Maruti workers: Rights body

Haruki Murakami: On seeing the 100% perfect girl one beautiful April morning

The Almond Trees by Albert Camus (1940)

Rudyard Kipling: critical essay by George Orwell (1942)

Satyagraha - An answer to modern nihilism

Three Versions of Judas: Jorge Luis Borges

Albert Camus's lecture 'The Human Crisis', New York, March 1946. 'No cause justifies the murder of innocents'